मोनाड यूनिवर्सिटी का फर्जी डिग्री घोटाला, विदेश तक फैला नेटवर्क

अजमल शाह
अजमल शाह

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद की मोनाड यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्री और मार्कशीट घोटाले के कारण एक बार फिर सुर्खियों में है। एसटीएफ और पिलखुआ पुलिस की गहन जांच में सामने आया है कि इस यूनिवर्सिटी से हजारों फर्जी डिग्री बनवाई गईं, जिनके सहारे न केवल देश बल्कि विदेशों की मल्टीनेशनल कंपनियों में भी नौकरियां हासिल की गईं।

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प्लेसमेंट कंपनियों का मिला साथ

गुरुग्राम स्थित एक नामी प्लेसमेंट कंपनी की मदद से मोनाड की फर्जी डिग्रियों पर सैकड़ों उम्मीदवारों को विदेश भेजा गया। यूनिवर्सिटी यह गारंटी देती थी कि उसकी फर्जी डिग्री की पहचान नहीं हो पाएगी, और यदि कोई कंपनी वैरिफिकेशन करती, तो यूनिवर्सिटी स्वयं वैधता की पुष्टि कर देती।

पीएचडी भी बिक रही थी थोक में

एसटीएफ को आशंका है कि मोनाड ने पिछले 5 वर्षों में जितनी पीएचडी डिग्रियाँ जारी की हैं, वो किसी भी 50 साल पुरानी यूनिवर्सिटी से अधिक हैं। अब जांच का दायरा मोनाड की सिस्टर कंसर्न यूनिवर्सिटीज तक बढ़ा दिया गया है, ताकि यह पता चल सके कि यह नेटवर्क और कहां तक फैला है।

‘आग लगने से रिकॉर्ड जल गया’ 

जांच में यह भी सामने आया है कि जब कुछ कंपनियों ने डिग्रियों की वैधता जांचने के लिए यूनिवर्सिटी का दौरा किया, तो उन्हें जवाब दिया गया कि “आग लगने से रिकॉर्ड जल गया है”, लेकिन डिग्री पूरी तरह असली है।

5 हजार फोटो से पहचान की तैयारी

एसटीएफ को मोनाड यूनिवर्सिटी से करीब 5,000 छात्रों की तस्वीरें और उनकी जानकारी हाथ लगी है, जिनमें से 3,000 से अधिक के पते भी दर्ज हैं। अब यह डाटा स्कैन कर संबंधित जिलों की पुलिस को भेजा जा रहा है, ताकि स्थानीय स्तर पर पहचान और कार्रवाई की जा सके।

मोनाड में ही नौकरी कर रहे थे फर्जी डिग्रीधारी

इतना ही नहीं, मोनाड ने कई युवकों को खुद भी नौकरी पर रख लिया था — वो भी उन्हीं डिग्रियों के आधार पर जो फर्जी थीं। यह दर्शाता है कि यूनिवर्सिटी के भीतर ही फर्जीवाड़े का पूरा सिस्टम मौजूद था।

जांच अधिकारी का बयान

पिलखुआ कोतवाली प्रभारी पटनीश कुमार ने बताया,”यह मामला बहुत बड़ा है और इसकी जांच में समय लगेगा। फिलहाल हम उपलब्ध दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का अध्ययन कर रहे हैं। कई बड़े खुलासे जल्द सामने आने की संभावना है।”

मोनाड यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्री मामला ना सिर्फ भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह जाली डिग्रियों के दम पर युवाओं का भविष्य बनाया और तबाह किया जा सकता है। इस घोटाले की पूरी परतें खुलने पर देश की कई बड़ी कंपनियों और संस्थानों में कार्यरत लोगों की साख पर भी असर पड़ सकता है।

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